बंगाली तंत्र मंत्र बुक फ्री डाउनलोड PDF Bengali Tantra Mantra Book PDF Free Download Tantra Books in Bengali पावरफुल बंगाली मंत्र PDF BOOK
श्रीबगला मातृका साधना के गूढ़ नामों का अर्थ – श्रीबगलामुख्यै नमः
श्रीबगलामुखी को नमस्कार। भगवती बगलामुखी का वास्तविक नाम ‘वल्गा-मुखी’ है। सामान्य बोलचाल की भाषा में ‘वल्गा’ के अक्षर उलट कर ‘बगला’ या ‘बगला’ हो जाते हैं। ‘वल्गा’ शब्द का अर्थ होता है-‘लगाम’। ‘अतः ‘वल्गा-मुखी’ या ‘बगलामुखी’ से ‘नियन्त्रित’ करनेवाली शक्ति का बोध होता है न कि बगला पक्षी का।
यही नहीं, संस्कृत भाषा में ‘बगला’ शब्द का, जब विशेषण के रूप में प्रयोग होता है, तब उसका अर्थ ‘अरिष्ट’ अर्थात् अक्षत, पूर्ण, अविनाशी, निरापद होता है। इससे भी भगवती बगलामुखी की विशिष्ट शक्तियों का बोध होता है। शत्रुओं का बाक्-स्तम्भन (नियन्त्रण) करनेवाली शक्ति को नमस्कार।
बंगाली तंत्र मंत्र बुक
Bengali Tantra Mantra बंगाली तंत्र मंत्र बुक फ्री डाउनलोड : पुस्तक डाउनलोड करने से पहले कुछ अंश लिखा हुआ पढ़े
- श्रीजम्भिन्यै नमः दुष्टों या दुवृत्तियों को कुतर-कुतर कर टुकड़े करनेवाली को नमस्कार।
- ऐश्वर्यत्व की देवी ‘चला’-लक्ष्मी को नमस्कार ।
- श्रीचलायै नमः
- श्रीअचलायै नमः ‘पृथ्वी’, ‘ब्रह्म-शक्ति’ को नमस्कार ।
- श्रीदुर्द्धरायै नमः – जिसका सामना न किया सके या जिसे रोका न जा सके, उसको नमस्कार।
- श्रीअकल्मषायै नमः – पुण्यदायी शक्ति को नमस्कार ।
- श्रीकाल- कर्षिण्यै नमः काल को कर्षित (नियन्त्रित) करनेवाली को नमस्कार।
- श्रीश्रामिकायै नमः
- श्रीभगाम्बायै नम
- श्रीभग-मालायै नमः ऐश्वर्य-धात्री शक्ति को नमस्कार ।
- श्रीभग-वाहायै नमः – ऐश्वर्य प्रदात्री शक्ति को नमस्कार ।
- श्रीभगोदर्यै नमः – लावण्यमयी शक्ति को नमस्कार ।
- श्रीभगिन्यै नमः सौभाग्य दायक – शक्ति को नमस्कार।
- श्रीभग-जिह्वायै नमः – ऐश्वर्य प्रिया-शक्ति को नमस्कार।
- श्रीभगस्थायै नमः – ऐश्वर्यस्थ शक्ति को नमस्कार।
- श्रीभग-सर्पिण्यै नमः ऐश्वर्य की ओर ले जानेवाली शक्ति को नमस्कार।
- श्रीभग-लोलायै नमः ऐश्वर्य-लक्ष्मी को नमस्कार ।
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बंगाली तंत्र मंत्र बुक फ्री डाउनलोड Bengali Tantra Mantra : श्रीबगला शिव-प्राण-प्रद कवच
‘एक वीरा तन्त्र’ में सङ्कलित भगवती बगला का उक्त ‘कवच’ तीन बातों में – अपनी विशेषता रखता है।
प्रथम तो यह कि यदि कोई शत्रुओं से घिर जाए, अथवा धन या पराक्रम से गर्वित व्यक्तियों द्वारा सताया जाए, अथवा हाथी, साँप आदि जन्तुओं का भय हो, तो उनके’ स्तम्भन’ में यह कवच उपयोगी होता है।
दूसरे यह कि इसके ‘पूर्व-पीठिका’-भाग से यह स्पष्ट है कि कृत-युग में एक भयङ्कर वात- क्षोभ उपस्थित हुआ, जिससे सातों समुद्र एक हो गए और देवता भी भयभीत हो उठे। इन्द्र, विष्णु आदि सभी शङ्कर जी के शरणागत हुए। उस समय स्वयं शिव जी ने सभी भयों को दूर करनेवाला यह ‘कवच’ देवों को प्रदान किया।